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Wednesday, January 7, 2009

अबकी आवे अइसन नयका साल

October 2, 2006

अबकी आवे अइसन नयका साल
हो जाये हर गाँव-शहर खुशहाल
भइया के मुँह से फूटे संगीत
भउजी के कंगना से खनके ताल

आवे रे आवे अइसन मधुमास
फूल खिलावे ठूंठ पेड़ के डाल

झूम-झूम के नाचे मगन किसान
एतना लदरे जौ-गेहूँ के बाल ।

दिन सोना के चाँदी के हो रात
हर अँगना मे अइसन होय कमाल

मस्ती मे सब गावे मिल के फाग
उड़े प्रेम के सगरो रंग-गुलाल

लौटे रे लौटे गाँवन मे गाँव
फेर जमे ऊ संझा के चौपाल

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