ऐसा क्यो है कि सारे लोग आप (नरेन्द्र मोदी) की ओर एक चुम्बकीय आकर्षण से खिचे चले आ रहे है....ये शब्द सुनील भरती मित्तल के है, जो इस बात का संकेत है कि लोग किस कदर मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित है । अगर ये कहे गए शब्द सिर्फ़ कारपोरेट हित और पूंजी की आवक से ही सम्बंधित है तो यहाँ ये कहना जरूर लाज़मी हो जाता है कि शायद ही देश का ऐसा कोई राज्य होगा जो इस दिशा में अग्रसर नही है। स्पस्ट रूप से कहा जाए तो बात सिर्फ़ इस दिशा में बढ़ने की नही है बल्कि संतुलन बनाये रखने की है जिसमे मोदी सफल हुए है। यदि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में कारपोरेट सेक्टर को कुछ कड़वे अनुभव का सामना करना भी पड़ा तो वो सम्बंधित राज्यों की अपनी सम्स्यावो की वजह से । जबकि मोदी ने हर बार फैसला लिया और संतुलन भी बनाये रखा । फिर क्यो २००२ का हर बार रोना रोया जाता है।
इतिहास साक्षी है कि कलिंग युद्ध , जिसमे लगभग एक लाख लोग मारे गए ,अशोक को बिल्कुल बदल कर रख दिया जो ९९वे भाइयो का वध करके राजा बना था , आख़िर एक युद्ध ने उसे महानता कि ओर अग्रसर किया। शेरशाह, जिसके जीवन का सबसे बड़ा कलंक रायसेन का अभियान था , पर क्या इस वजह से उसके लोकहितकारी छबी या फिर उसके कुशल राजनीतिज्ञ होने पर सवाल उठाया जा सकता है? अकबर, जिस पर इतिहास गर्व करता है क्या अहमदनगर का अभियान उसके शासन पर धब्बा नही है? बावजूद इसके अकबर को सफल शासक के रूप में ही जाना जाता है, तो फिर मोदी पर बार बार सवाल क्यो?
लोकतंत्र का मतलब ये कतई नही होना चाहिए जिसमे कई आवाजे मिलकर एक बड़े सच को झूठा साबित करने में व्यस्त हो जाए ।महानता कभी कोरी नही होती.... तो मोदी जैसा नेता प्रधानमंत्री बने ..इस पर आपति क्यो?
Monday, January 19, 2009
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