Pages

Thursday, January 29, 2009

माँ ...कितनी याद आती है .

कितनी याद
आती है
मां
बार-बार
याद आती है
मां
घर छोड़कर
शहर तों आ गया
पर
बिन तेरे रह नहीं पाता
मां
याद आती हैं
तेरे हाथ की बनी
रोटियां
और
तेरा दुलार
कितना अच्छा होता
कि
गाँव में ही
मिल जाता
रोजगार
ताकि कभी
दूर
न होते
तेरी ममता कि छांव
और
प्यार।

1 comment:

  1. sir,aapne bahut hi sundar kavita likhi hai,maa ke baare.

    ReplyDelete