अबकी आवे अइसन नयका साल
October 2, 2006अबकी आवे अइसन नयका साल
हो जाये हर गाँव-शहर खुशहालभइया के मुँह से फूटे संगीत
भउजी के कंगना से खनके ताल
आवे रे आवे अइसन मधुमास
फूल खिलावे ठूंठ पेड़ के डाल
झूम-झूम के नाचे मगन किसान
एतना लदरे जौ-गेहूँ के बाल ।
दिन सोना के चाँदी के हो रात
हर अँगना मे अइसन होय कमाल
मस्ती मे सब गावे मिल के फाग
उड़े प्रेम के सगरो रंग-गुलाल
लौटे रे लौटे गाँवन मे गाँव
फेर जमे ऊ संझा के चौपाल
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