पता नही कैसे उसे मेरा
थोड़ा सा बैचैन होना प्यार लगा
क्या प्यार बचैनी का दूसरा नाम है
हम तो अपने ही ख्यालों में गुम थे
मगर कैसे उसको लगा ये प्यार है
हर आहट पर चोंक जाना तो
तुम्हें पता है मेरी पुरानी आदत है
दिन में भी ख्वाब देखना
मेरी पुरानी आदत है
हर किसी के गम को
अपना बना लेना
मेरी पुरानी आदत है
फिर उस गम को
ख़ुद महसूस करना
मेरी पुरानी आदत है
फिर कैसे तुम्हें लगा
मुझको तुमसे प्यार है
मैंने तो कभी कहा नही
तुम्हारे लिए बैचैन नही
फिर कैसे तुम्हें लगा
जैसे हर ख्वाब साकार नही होता
वैसे हर बैचैनी प्यार नही होती
मुझे अपने ख्वाबों की ताबीर न बना
मैं तो इक साया हूँ
मुझे हमसाया न बना
मैं तेरा प्यार नही ख्याल हूँ
तुम मेरा प्यार नही
सिर्फ़ अहसास है
इस हकीकत को मान ले
और इस ख्वाब को
प्यार का नाम न दे
Thursday, January 29, 2009
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bhai tani appna ke pyar se bachaba
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