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Friday, January 9, 2009

भोजपुरी के महानायक : मनोज तिवारी अब चुनाव मैदान में

भोजपुरी के महानायक : मनोज तिवारी 'मृदुल'

एक जमाना में भोजपुरी का नाम पे मुँह बिचकाए वाला बॉलीवुड आज भोजपुरिया बुखार से तप रहल बा. अजय देवगन आ अमिताभ बच्चन का बाद आज बॉलीवुड के हर तिसरा निर्माता या त भोजपुरी फिल्म बना रहल बा, चाहे बनाये के बारे में सोच रहल बा. एह सब कुछ के मुमकिन बनाये में सबसे बड हाथ बा मनोज तिवारी 'मृदुल' के.


मूलतः बिहार के कैमुर जिला में स्थित भभुआ के अतरवलिया गाँव के पैतृक निवासी मनोज तिवारी के जन्म 1 फरवरी 1971 के बनारस (वाराणसी) में भइल रहुये. स्व. चन्द्रदेव तिवारी के चार गो लइका लोगन में तीसरा नम्बर के मनोज के प्राथमिक शिक्षा भभुआ में ही भउये.

मनोज के पिता शास्त्रीय संगीत के गायक रहुअन आ जिला-जवारी में उनुकर खुब नाम रहे. खुन में संगीत होखला का बादो मनोज के ढेर झुकाव स्टेज का ओर रहे, जेकरा चलते उ गांव में ड्रामा, रामलीला आ अन्य नाटकन में बराबर भाग लेत रहुअन.

पर तकदीर के शायद कुछ औरी मंजुर रहुये, 1983 में मात्र 13 साल का उमर में मनोज का सर से पिता के साया उठ गउये. पिता के श्राद्ध का दिन घर पे एगो श्रद्धांजलि संगीत संध्या के आयोजन भउये. कार्यक्रम समाप्त भइला का बाद कवनो कलाकार के हारमोनियम ओहिजे छुट गउये. इहे मौका रहुये, जब पहिला बेर मनोज के अंगुरी हारमोनियम पर थिरक उठुये. एकरा बाद त मनोज संगीत का ओर खिंचात चल गइले. ओकरा बाद, बिना कवनो गुरु के, अपनेहीं मनोज बांसुरी बजाये के सिखुअन, आ जवन सबसे पहिला गाना उनुकर बांसुरी के धुन बन गउये, उ रहुये मोहम्मद रफी के जल्दी-जल्दी चल रे कहारा... सुरज डूबे रे...

एकरा बाद पडोस के गाँव में रहे वाला शास्त्रीय संगीत के गुरु कामता प्रसाद तिवारी से मनोज शास्त्रीय संगीत के विधिवत शिक्षा लेहुअन. सन 1985 में सेवा निकेतन उच्च विधालय, बरहली, भभुआ से हाईस्कुल पास कइला का बाद आगे के पढाई खातिर मनोज काशी आ गउअन. बनारस आदर्श सेवा विधालय से इंटर कइला का बाद इ बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी से स्नातक आ बीपीएड तथा एमपीएड करुअन.

विधार्थी जीवन में एन सी सी (NCC) के अच्छा कैडेट रह चुकल मनोज क्रिकेट के भी बढिया खिलाडी रहुअन. सन 1993-94 में मनोज बीएचयु क्रिकेट टीम के कप्तान रहुअन आ राजस्थान क्लब (कोलकाता) का टीम के सौरव गांगुली का संगे खेलत रहुअन. बहुमुखी प्रतिभा के धनी मनोज क्रिकेट आ संगीत में गहरा रुचि होखला के बावजूद अफसर बनल चाहत रहुअन.

गायकी में मुकेश से प्रभावित मनोज काशी के सांगीतिक आ सास्कृतिक परंपरा के करीब से देखुअन, आ संगीत का प्रति इनुकर झुकाव के देख के इनिकर बड भाई भी गायन में ही कैरियर बनाये खातिर प्रेरित करुअन. एहिजा से शुरु भउये मनोज कुमार तिवारी के संघर्ष यात्रा. बनारस के दशाश्वमेघ घाट पर मनोज के पहिला सार्वजनिक कार्यक्रम के प्रस्तुति एगो राममय रात का रुप में भउये.

एकरा बाद इनिकर भाई साधू शरण तिवारी एगो प्राइवेट कंपनी से मनोज के गीतन के दु गो कैसेट भोजपुरी हंगामा आ राम भजन रिलीज करवउअन. आज इ बात सुनला पर भले ही अटपटा लागे, पर ओह घरी दुनु कैसेट बुरी तरह के फ्लॉप हो गउये. मनोज एह घटना के एगो चुनौती का रुप में लेहुअन. 1992 से लेके 1995 ले मनोज के जिनगी के एगो कठिन दौर रहुये. ओह घरी गुलशन कुमार से मिले खातिर मनोज टी-सीरिज का दरवाजा पर कई-कई दिन खडा रह जात रहुअन, लेकिन मुलाकात ना हो पावत रहुये. एक बेर गाये के मौका मिलबो करुये त नाक से गाये के बात कह के मना क दिहल गउये. कहल त एहिजा ले गउये कि उ सब कुछ हो सकेले, पर गायक ना.

लेकिन हार मानल मनोज के आदत ना रहुये. स्टेज शो का माध्यम से भोजपुरी संगीत का क्षेत्र में आपन पहचान बनाये खातिर उ संघर्षरत रहुअन. परंपरागत भोजपुरी संगीत का लीक से अलग हट के भोजपुरी संगीत के आधुनिकीकरण के उनुकर प्रयास के धीरे-धीरे लोग पसंद करे लगुये.

सन 1996 में वैष्णो देवी का यात्रा से लौटत समय एक बार फेर मनोज टी-सीरिज का दरवाजा पर गउअन. बहुत निहोरा कइला के बाद ओहिजा लोग उनुकर कैसेट मईया के महिमा सुने खातिर तैयार भउये. एक बार कैसेट चालू होखे के देर रहुये कि पुरा रुम में सन्नाटा छा गउये. कैसेट खतम होखला का बाद पहिला सवाल रहुये "इस कैसेट का मास्टर कहाँ है?"

"मास्टर त घरे बा...", मनोज के इ जबाब सुनते ही तुरंत फ्लाइट के टिकट के व्यवस्था कइल गउये आ ओकरा बाद मनोज कबो पीछे मुड के ना देखुअन. गुलशन कुमार ओहि समय कहुअन कि "तुम्हारी आवाज बहुत मृदुल है" आ उ उनुका के एगो नया नाम मनोज तिवारी ‘मृदुल’ देहुअन.

वैष्णोदेवी के गीतन पर आधारित टी-सीरिज से उनुकर पहिला एलबम मईया के महिमा सुपरहिट रहल. आ एकरा संगे मनोज तिवारी के सफलता के एगो रोमांचक सफर शुरु भउये. 1996 के वैष्णोदेवी के सफर में आपन साथी प्रतिमा पाण्डेय के मनोज 1998 में आपन जीवनसाथी बना लेहुअन, आ आज उनुकर एगो लइकी (ऋति) भी बाडी.

अपना दीदी पूनम के घरे (सूर्यकुण्ड धाम नगर) अइला का दौरान गोरखपुर में एगो अखबार के उपसंपादक धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय से मृदुल के मुलाकात भउये, जेकि उनुका के भोजपुरी लोकगीतन के सम्मान पुनर्प्रतिष्ठित करे खातिर प्रोत्साहित करुअन. बस पहिला कैसेट हिट होखे के देर रहुये, फेर एक के बाद एक सैकडन गो कैसेट से मनोज पुरा देश भर में छा गउअन. अब चाहे उ बगलवाली... चाहे सामनेवाली... मनोज के गीतन में गंवई संस्कारन का संगे-संगे एगो आधुनिकता के अदभुत मेल दिखत रहुये.

पर अब बारी रहुये फिल्म इंडस्ट्री के, घुमे खातिर गाडी हीरो होण्डा खोजेली... जइसन आइटम सांग देके भोजपुरी फिल्म कन्यादान से मनोज अपना अभिनय के कैरियर के शुरुआत करुअन. एकरा बाद हमके माफी देइ द आ नइहर के माडो, पिया के चुनरी में भी उ अतिथि कलाकार का भूमिका में नजर अउअन.

लेकिन उनुकर बतौर नायक पहिला फिल्म ससुरा बडा पइसावाला ना सिर्फ उनुका खातिर, बल्कि भोजपुरी सिनेमा खातिर भी एगो मील के पत्थर साबित भउये. कारोबार का मामला में बड-बड हिन्दी फिल्मन के भी पीछे छोड देवे वाला इ फिल्म से मनोज रातों-रात सुपरस्टार बन गउअन. एकरा बाद त मनोज का पीछे फिल्मन के लाइन लाग गउये. दरोगा बाबू आई लव यू, बंधन टूटे ना, भइया हमार, दामाद जी, धरतीपुत्र, देहाती बाबू, धरती कहे पुकार के, मंगलसूत्र, प्यार के बंधन आ कई गो अइसन फिल्म बॉक्स- ऑफिस पर सफल रहली ह सन.

आज मनोज तिवारी के जादू ना सिर्फ भोजपुरी सिनेमा, बल्कि बॉलीबुड में भी सर चढ के बोल रहल बा, आ उ हिंदी के आपन पहिला फिल्म शेरशाह सूरी में विश्व-सुंदरी सुष्मिता सेन का संगे काम क रहल बाडे. आउर त आउर, हॉलीवुड में गिरमिटिया मजदूरन पर बन रहल एगो अंग्रेजी फिल्म में भी मनोज काम क रहल बाडे.

4 comments:

  1. aap mere blog ke follower bane hai, iske liye dhanyawaad, aapka isi tarah sneh aur pyar milta rahe, aap bhi aur accha likhe,is asha me hoon,

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  2. i am fan of manoj tiwari.
    i like his all songs.really very fantastic

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  3. Humhu Manoj Sir ke bahut badka fan bani.
    Unkar sab album humra pass ba.
    kabhi mauka mili ta hum jarur milab unse.

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  4. bigg boss me manoj bhai ke jane se bigg boss sahi mayne me majedar ho gaya hai.

    frm: Dr. Awanish Anand S. Verma

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